चुप रहना। ऊपर वाले ने दो कान दियें है उसका इस्तेमाल करना। लोगो की बकवास बातो को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देना। अपने पास ब्रेन है और ब्रेन में कई भाग है, जिसमे आप तरह तरह के बातो को हर जगह जमा कर सकते है तो लोगो की अच्छी बातों को इकट्ठा किजिये और बाकी बातो पे मिट्टी डालिये। लोग कितना ही कियु न कहे के आप ये है ऐसे है वैसे है बिगड़ गए है आपमें सलीका नही है इन सब बातों पर भी मिट्टी डालिये और अपनी ज़िंदगी बिल्कुल एक आज़ाद बच्चे की तरह गुज़रिये, जिसे किसी चीज़ की फिक्र नही होती न कल की और न होने वाले हादसों की। अपने सिवा दुसरो पर भी नज़र रखिये खासकर अपने माता पिता पर कियुकि इंसान कि ज़िन्दगी में एक बार नुक्स लग जाए तो फिर डॉक्टर का चक्कर आम हो जाता है। और माता पिता एक ही बार मिलते है। अपने सकुन और खुशियो को दूसरों में नही ढूंढिए बलके खुश रह कर ज़िन्दगी गुज़रिये कियुकि खाने में नमक हो तो नामक की कमि महसूस नही होती और न हो तो खाना बहोत बदमजा लगता है उसी तरह से सच अगर आपके तारीफ में हो तो बुरा नही लगता और अगर आपके खिलाफ हो तो बहोत कड़वा लगता है। कभी कभी अपने दिमाग़ को सकुन दीजये आस पास ह
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