एक समय था जब सेंसेक्स 1000 से ऊपर नहीं जा पाता था, जब कभी 1000 से ऊपर जाने की कोशिश करता तब कुछ शक्तिशाली लोग बड़े बड़े कंपनियों के शेयर बेचने लगते थे ताकि सेंसेक्स गिर जाए। हर्षद मेहता चाहते थे की जो कंपनी अच्छी हैं, उनके शेयर नहीं गिरने चाहिए। हर्षद मेहता ने भारत में फंडामेंटल एनालिसिस को लोकप्रिय किया । वह अपनी रिसर्च रिपोर्ट बनाते थे और लोग उन कंपनियों के शेयर खरीदते थे जिनके फंडामेंटल्स अच्छे हैं। लेकिन कुछ लोगों को मार्किट के गिरने से ही फायदा था तो अपने पैसे के बलबूते पर वह लोग उन कंपनियों के शेयर को इतना बेचते थे की शेयर की कीमत गिर जाए। फिर हर्षद मेहता ने पब्लिक सेक्टर बैंक UTI के चेयरमैन को भरोसे में लिया ताकि यह शक्तिशाली लोग जितना बेचें उस से ज्यादा हर्षद मेहता खरीद सकें और शेयर की कीमत कभी ना गिरे। भारत में कुछ ऐसे भी लोग थे जो चाहते थे की भारत की उन्नति हो। शेयर बाजार किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी जैसी होती है जो मजबूत होनी चाहिए। कुछ बड़े उद्योगपति ने भी हर्षद मेहता का साथ दिया और पहली बार सेंसेक्स ने 1000 का लेवल तोड़ा, फिर 2000, 3000 करके आगे बढ़ता रहा। बाज़ार में मानो एक लहर ...
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