आज मैं उदाहरण सहित यह सिद्ध करने की कोशिश करूंगा कि रिटेल निवेशक शेयर बाजार में ऑपरेटर्स के हाथों कैसे लूटता है और सबसे बड़ी बात यह है कि रिटेल निवेशक को फिर भी यही लगता रहता है कि यह सब तो प्राकृतिक तथा सामान्य है।
मेरे व्यक्तिगत विश्लेषण के अनुसार मैं शेयर मार्केट के ऑपरेटर्स को दो भागों में बांट देता हूं -
- छोटे ऑपरेटर्स
- बड़े ( असली ) ऑपरेटर्स
अब जरा इनके द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली की चर्चा करते हैं -
- छोटे ऑपरेटर्स -
ये सबसे पहले सोशल मीडिया के जरिए निवेशकों के एक बहुत बड़े समूह की कॉन्टेक्ट डीटेल्स का पता लगाते हैं।
फिर टेलीग्राम, वाट्सएप की सहायता से ये रिटेल निवेशकों को फ्री टिप्स देना शुरू करते हैं।
आपको टेलीग्राम पर बहुत सारे ऐसे चैनल मिल जाएंगे जो लोगों को इंट्रा-डे ट्रेडिंग के फ्री लाइव टिप्स प्रदान करते हैं। और इनमें से बहुत सारे चैनलों के तो 1–1 लाख से ऊपर सब्सक्राइबर है।
अब मैं इनकी कार्यप्रणाली का वर्णन करता हूं -
माना कि सुबह 9:00 बजे शेयर मार्केट में कारोबार शुरू होता है, अतः लगभग 10 बजे ये ऑपरेटर लोग एक विशेष कंपनी के बहुत सारे शेयर इंट्रा-डे ट्रेडिंग के लिए खरीद लेते हैं ( इंट्रा-डे ट्रेडिंग में मिलने वाले एक्स्ट्रा मार्जिन के बल पर हम हमारे पास उपलब्ध पैसों के 20 गुना ज्यादा तक के शेयर खरीद सकते हैं )।
माना कि पहले शेयर की रेट 400 रूपए चल रही थी अतः इन्होंने जब बहुत सारे शेयर खरीदे तो शेयर के भावों में थोड़ी तेजी आई क्योंकि डिमांड-सप्लाई के सिद्धांत के आधार पर ऐसा होता है। और समझने के लिए माना कि शेयर की कीमत 400 से बढ़कर 405 रूपए हो गई।
अतः इन ऑपरेटर लोगों ने बहुत सारे शेयर 400 से लेकर 405 तक के भावों में खरीद लिए जाते हैं।
उसके बाद ये अपने सारे टेलीग्राम, वाट्सएप, ईमेल आदि के माध्यम से रिटेल निवेशकों के एक बहुत बड़े समूह को यह सलाह देते हैं कि आप लोग इस शेयर को जल्दी से खरीद लीजिए। ये बहुत ऊपर जाने वाला है तथा आपको इससे बहुत फायदा होगा।
अब जितने लोगों को इन्होंने यह शेयर खरीदने की सलाह दी, उससे आधे लोग भी अगर इस कंपनी के थोड़े थोड़े शेयर खरीदते हैं तो भी बहुत बड़ी संख्या में शेयर की खरीद के ऑर्डर लगते हैं जिसकी वजह से शेयर की कीमत में एकाएक ही एक उछाल आता है तथा शेयर की कीमत 405 से बढ़कर 408–409 तक पहुंच जाती है और रिटेल निवेशकों में से अधिकांश निवेशकों को शेयर उसी भाव पर मिलता है लगभग 408–409 पर।
अब जैसे ही शेयर की कीमत 409 के आसपास जाती है तो ऑपरेटर अपने सारे शेयर धीरे-धीरे बेचना शुरू करता है तथा शेयर की कीमत देखते ही देखते 405 के आसपास आ जाती है और इस प्रकार 405 से 410 के बीच ऑपरेटर अपने सारे शेयर बेचकर निकल लेता है।
अब चूंकि शेयर की कीमत में आने वाली ये तेजी प्राकृतिक तो थी नहीं, जबकि इसे कृत्रिम रूप से ऑपरेटर्स द्वारा बनाया गया था अतः यह तेजी ज्यादा समय तक नहीं टिकती और क़ीमत वापिस 400 के आसपास आ जाती है।
ऑपरेटर ने अपने शेयर 400–405 में खरीदे तथा 405–410 में बेच दिए अतः उसने तो अपनी रोटी सेंक ली जबकि बेचारे सीधे साधे रिटेल निवेशकों की नैया डूब गई।
अतः इस प्रकार ये ऑपरेटर्स बड़ा पैसा कमा लेते हैं।
" इनसे बचने के लिए हमें हमारे नॉलेज को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि फर्जी टिप्स के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई गंवानी न पड़े ।"
2. असली ( बड़े ) ऑपरेटर्स -
इस प्रकार के ऑपरेटर्स वो लोग होते हैं जिनके पास शेयर मार्केट का काफी अनुभव होता है, इनके पास बहुत सारे पैसे होते हैं तथा इनकी पहुंच भी बहुत ऊंची होती है और कंपनी का मालिक भी इनमे शामिल हो सकता है।
आइए इनकी कार्यप्रणाली को समझते हैं -
ये सबसे पहले एक पैनी स्टोक ( जिसकी कीमत लगभग 20 रूपए से कम होती है ) का पूरा एनालिसिस करते हैं।
ये इस प्रकार की कंपनी का चयन करते हैं जिसका मार्केट कैप बहुत कम हों, अर्थात एक स्माल कैप कंपनी हों ताकि शेयर की कीमत को नचाना इनके लिए आसान हो जाएं।
माना इन्होंने एक शेयर का चयन किया जिसकी कीमत 2 रूपए है तथा उस कंपनी के 10 करोड़ शेयर मार्केट में उपलब्ध है।
सबसे पहले ये उस कंपनी के 90 से 95 प्रतिशत शेयर खुद खरीद लेते हैं या अपने जानकारों, रिश्तेदारों, मित्रों आदि को खरीदवा देते हैं तथा कुछ समय के लिए होल्ड करके रखते हैं।
चूंकि इन लोगों ने उस कंपनी के अधिकांश शेयर खरीद लिए अतः शेयर के भाव में वृद्धि होनी तो तय है क्योंकि अचानक से शेयर की डिमांड बढ गई है।
इससे उस शेयर की कीमत बढ़कर माना 4 रूपए हो जाती है।
अब ये लोग 1–2 न्यूज चैनल वालों से संपर्क करते हैं तथा उनको कुछ पैसे देकर दर्शकों को यह न्यूज दिखाई जाती है कि अमुक शेयर आने वाला मल्टीबैगर शेयर बन सकता है तथा इसका भविष्य बहुत अच्छा है, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं, फलां फलां ……
इस प्रकार ये रिटेल निवेशक के मन में यह विश्वास पैदा कर देते हैं कि यह शेयर आने वाले समय में बहुत अच्छा रिटर्न देगा।
इसके अलावा ये उस कंपनी के मालिक से भी संपर्क बनाकर उसको कुछ पैसे का लालच देकर उससे यह ट्वीट करवा देते हैं कि कंपनी आने वाले समय में अच्छे अच्छे प्रोजेक्ट्स बग़ैरा लांच करने जा रही है तथा हम अपनी कंपनी का विस्तार करने वाले हैं।
चूंकि कंपनी का मालिक भी वैसे ही घाटे से जूझ रहा होता है ( शेयर की कीमत 2 रूपए है तो मालिक तो घाटे में ही होगा ) अतः कंपनी का मालिक भी थोड़े पैसे कमाने के लालच में आकर इस खेल में शामिल हो जाता है )
जब रिटेल निवेशक लगातार इस प्रकार की खबरें देखता है तो वह इनकी बातों में आकर अपनी खून पसीने की कमाई को इस कंपनी के शेयर खरीदने में लगा देता है।
चूंकि मार्केट में पहले से ही उस कंपनी के शेयर कम होते हैं ( क्योंकि अधिकांश शेयर ऑपरेटर्स ने पहले ही खरीद लिए ), तथा सभी रिटेल निवेशक जब उस शेयर को खरीदने की कोशिश करते हैं तो शेयर की कीमत और बढ़ती है ( डिमांड ज्यादा-सप्लाई कम )
और शेयर की कीमत इस प्रकार 4 से बढ़कर 6 रूपए आ जाती है।
अब जिन रिटेल निवेशकों ने इस शेयर को नहीं खरीदा था वो मन ही मन खुद को कोसते हैं क्योंकि उनकी नजरों के सामने 2 रूपए का शेयर 6 रूपए का हो गया है।
अतः समस्त रिटेल निवेशकों को ऐसा लगता है कि "अभी नहीं तो कभी नहीं"
और लोग 6 रूपए में भी इसको खरीद लेते हैं।
इससे शेयर की कीमत 8 रूपए हो जाती है और इस समय ऑपरेटर्स अपने शेयरों को थोड़ी थोड़ी मात्रा में बेचना शुरू करते हैं, क्योंकि एक बार में ज्यादा बेचने से क़ीमत मंदी हों सकतीं हैं और रिटेल निवेशकों का उत्साह कम हो सकता है अतः ऑपरेटर्स अपना काम स्मार्टलि करते हैं।
चूंकि ऑपरेटर्स अपने शेयर धीरे-धीरे निकालता है तथा बाजार में शेयर की मांग बहुत अधिक होती है अतःशेयर की कीमत अभी भी धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और फिर शेयर की कीमत 12 रूपए तक जाते जाते ऑपरेटर्स अपने सारे शेयर बेच देते हैं तथा न्यूज चैनल वालों का पैमेट कर देते हैं जिन्होंने उनके मिशन को कामयाब बनाने में सहायता की।
जब ऑपरेटर्स अपने सारे शेयर बेचकर निकल जाता है तो फिर शेयर की कीमत धीरे-धीरे कम होने लगती है क्योंकि अब लोगों को समझ में आने लगता है कि कंपनी अभी भी कंगाली के दौर से गुज़र रही है और कोई भी उस शेयर को खरीदने के लिए तैयार नहीं होता अतः शेयर हमेशा लॉअर सर्किट में पड़ा रहता है और वापस उसी रेट 2–3 रूपए पर आ जाता है।
जिन निवेशकों ने 4 से लेकर 12 रूपए तक खरीदा था उनको सबको भारी नुक़सान का सामना करना पड़ता है और ऑपरेटर्स अपनी जेबें भर लेते हैं।
" इसीलिए हमें पैनी स्टोक खरीदते समय चौकन्ना होकर काम करना चाहिए ।"
इसीलिए बड़े बड़े निवेशक ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करने की सलाह देते हैं क्योंकि इन कंपनियों को इतनी आसानी से ऑपरेटर्स द्वारा नियंत्रित करना संभव नहीं है ।
नोट - मैंने कॉन्सेप्ट को समझने के लिए कुछ आसान काल्पनिक उदाहरणों का प्रयोग उत्तर में किया है, वास्तविक उदाहरणो की स्थिति इनसे अलग भी हो सकती है अतः आपसे निवेदन है कि संख्याओं पर ज्यादा ध्यान न देकर मुख्य पॉइंट् को समझने का कष्ट करें।
"""अब इतना पढ़ने के बाद आपके मन में एक सवाल जरूर आया होगा कि हम अगर टिप्स न लें तो और करें क्या ???
क्योंकि हमने तो थोड़े दिन पहले ही निवेश करना शुरू किया है तथा हमें खुद से एनालिसिस करना अभी आता नहीं है, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक प्राचीन कहावत बहुत प्रसिद्ध है - KNOWLEDGE IS POWER
और यह कहावत आज़ भी चलती है और आगे भी चलतीं रहेगी, अर्थात आप ज्यादा से ज्यादा शेयर मार्केट के बारे में सीखने की कोशिश कीजिए क्योंकि यहां कोई एक दिन का काम तो हैं नहीं कि हम टिप्स लेकर निवेश करके अमीर बन जाएंगे, क्योंकि हमें कभी न कभी सीखना शुरू तो करना पड़ेगा और सीखी हुई चीज हमेशा मरते दम तक
Source : कोजा राम
Comments
Post a Comment
IF YOU LIKE THE POST,PLEASE LIKE FACEBOOK PAGE BELOW.
KINDLY POST YOUR COMMENT BELOW.