चाणक्य कहते हैं कि अगर धन की हानि हो जाए तो इसके बारे में हर किसी को नहीं बताना चाहिए। इससे मनुष्य की प्रतिष्ठा नष्ट होती है और लोग उसका सम्मान करना बंद कर देते हैं।
लोग उसकी मदद करने के बजाय उसकी स्थिति को हास्य का विषय बना देते हैं। अतः ऐसी बात कभी सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए।
2- आचार्य चाणक्य ने कहा है कि अगर मन में कोई दुख हो तो वह भी किसी के सामने अभिव्यक्त नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसार में सच्चे हितैषी बहुत कम होते हैं।
संभव है कि वह व्यक्ति पीछे से उन्हीं दुखों के आधार पर व्यक्ति का मजाक उड़ाए। इससे दुखी मनुष्य का दुख और बढ़ सकता है। जहां तक संभव हो ऐसी बात सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए।
3- पुरुष को अपने घर की बातें सबको नहीं बतानी चाहिए। विशेष रूप से अपनी पत्नी के चरित्र पर दूसरों के सामने कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने वाले पुरुष की प्रतिष्ठा, सम्मान का नाश होता है। भविष्य में उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
4- कहा जाता है कि ज्ञानी वही है जो मान और अपमान में सदैव समान रहे, लेकिन ऐसा कर पाना बहुत कठिन होता है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जीवन में मिला अपमान दूसरों के सामने कभी चर्चा का विषय नहीं बनाना चाहिए।
Source: Rupali Nayar
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