नमस्कार दोस्तो !!
आज की Hindi Post उन आलसियो के लिए है जो नरेंद्र मोदी के "अच्छे दिनो के भागीदार होने का दावा करते है.
जी हाँ
आप सही सोच रहे है, आज मै बात कर रहा हू ,आपके अपने सरकारी मुलाजिमो की जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ और अकड़ते जा रहे है, पर हैरानी कि बात ये है यह अकड़ पूरे साल भर रह्ती है, सर्दी हो या गर्मी , बारीश हो या धूप, हर समय आप इसका आनन्द ले सकते है.
ये अकड़ हमे हर जगह मिल जायेगी, चाहे सरकारी Banks हो, स्कूल या कोलेज हो, सरकारी दफ्तर हो,पोलीस Station हो या कोई और सरकारी दफ्तर.
इन सरकारी नौकरो की यह बेरुखी पेदायशी नही, ये भी कभी आम इन्सान हुआ करते थे, पर शायद पक्की नौकरियो ने इन्हे इतना गुरूर दे दिया है कि ये एक Old man से भी भिड़ जाये,फिर एक सिधे साधे नवयुवक/युवतियो कि क्या औकात.
इस चीज का मेरे पास कई Examples है, और शायद आपके पास मुझसे ज्यादा हो.
Bawana Depot |
यह वाकया है बवाना Bus Depot का जहाँ लोगो को पता नही कैसे Treat किया जाता है, मै वहाँ अपना वहाँ कोलेज बस पास बनवाने जाता था, पर वहाँ के लोगो का व्यव्हार काफी बेरुखा और गुस्सा दिलाने वाला था.
जैसे :
"पह्ले पैसे दे ने"
"पास ढाई महीने का हो पर पैसे पूरे तीन महीनो के लगेंगे."
पहले तो मैंने सोचा कि यह exclusive offer सिर्फ मेरे लिये है , पर बाद मे पता चला कि यहा तो हर कोई इन लोगो का मारा है.
और तो और ये लोग पास बनवाने आये एक बूढे व्यक्ति को भी नही बक्श रहे थे,जिसे सिर्फ एक मामूली सा कागज ना लाने पर 70 साल कि उम्र मे घर लौटा दिया जाता है .
ये हाल सिर्फ उसी बस डिपो का ही नही था, बल्कि यह तो पूरे हिंदुस्तान की समस्या है, और अगर नही है तो आप सरासर झूठ बोल रहे है.
एक Example और है एक M.T.N.L Officer का जो इतने busy रहते है कि हफ्ते भर उंनका नम्बर लगता नही और गलती से लग जाये तो दिन Sunday बोल कर पल्ला झाड लेते है. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ जब मेरे Land line Phone की लाईन मे कुछ गढ्बढ चल रही थी, तो मैने Customer Care से हेल्प लेकर अपने जिले के MTNL अधिकारी का नम्बर लिया और जब मैंने उन्हे फोन किया तो वो बोले कि आज Sunday है और मेरा यहाँ से ट्रान्स्फर हो गया है ,इसलिये BYE BYE"
इस घटना से पता चलता है कि इन दफ्तरो का डेटा आज तक Update नही है और ये आज तक उसी सुस्त चाल से देश को आगे ले जा रहे है. (पूरा पता नही कि आगे ले जा रहे है या पिछे ?)
मै यह नही कहता कि सारे सरकारी लोग कामचोर है,कुछ लोग आज भी अपना काम पूरी ईमानदारी और ईंसनियत से कर रहे है
मेरी तो अपील उन लोगो से जो शायद इंसानो को इंसान नही समझ रहे,और बिना मतलब की बुरी दुआए कमा रहे है.
Please सुधर जाए ,क्योकि आप सरकारी मुलाजिम होने से पहेले एक इंसान जो दूसरो के लिये जिता है और दूसरो के लिये मरता है.
जय हिंद.
अग़र किसी को भी मेरी बात आह्त करती है तो उसके लिए Sorry.
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