रोज़ाना लोगो को दिन मे कम से कम 2 से 3 बार बैंक वालों का फ़ोन आता है क्रेडिट कार्ड लेने के लिए।
बैंक आपके दिमाग के साथ खेलता है।
आइये जानते है कैसे —
पहली बात ये की इस कार्ड का नाम क्रेडिट कार्ड रखा गया ना की लोन कार्ड जबकि वो आपको लोन ही देता है एक तरह से कम समय के लिए ताकी आपको किसी और से पैसे ना मांगने पड़े।
पर बैंक जानता है की लोन शब्द सुन क़र लोग इससे कतराएंगे इसके लिए वो लाये एक खूबसूरत शब्द क्रेडिट कार्ड।
मेरे एक मित्र ने हाल ही मे क्रेडिट कार्ड लिया जिस पर मैंने उनसे पुछा की आपको इसकी क्यों जरुरत पड़ी जिसपर उनका कहना था —
"कई बार पैसो की अचानक जरुरत पड़ जाती है और किसी से माँगने से अच्छा है क्रेडिट कार्ड से खर्चा क़र दो और बाद मे खुद भर दो!"
बोहोत लोग इस तरह की सोच रखते है पर 90 फीसदी लोग कोई जायज खर्चा नहीं क़र रहे होते है। कितनी बार ऐसा हुआ की आपने क्रेडिट कार्ड अस्पताल या दवाइयों के खर्चो के लिए करा हों?
अधिकतर समय वो ऑनलाइन शॉपिंग और जो चीजें जरुरत की नहीं है उनके लिए काम मे लिया जाता है।
अक्सर क्रेडिट कार्ड रखने वाले लोग ये तक कहते है की इससे खर्चा करने से फायदा होता है। उन्हें पॉइंट्स मिलते है जिससे वो सस्ते मे टिकट्स करा सकते है और भी कई फायदे होते है।
अब आइये इस तर्क को भी दूसरे पहलु से समझते है —
क्रेड (CRED) करके एक एप्लीकेशन है जो आपको उसके द्वारा अपने क्रेडिट कार्ड का भुगतान करने पर पॉइंट्स देती है जिससे आपको चीजें मिलती है। लोग कहते है की ये तो फायदे वाली बात है पर वो जो बात नहीं समझते है वो है की —
ये सब मार्केटिंग है जिससे वो आप के दिमाग के साथ खेलते है। वो आपको ये सब चीजें लुभाने के लिए देते है ताकी आप और फालतू का खर्चा करें पर आपके दिमाग मे रहता है की मुझे ज्यादा पॉइंट्स मिल रहे है और मै फायदा उठा पा रहा हूँ।
अधिकतर लोग इस छोटी सी बात को समझ नहीं पाते है और क्रेडिट कार्ड ले क़र हर महीने इएमआई (EMI) के जाल मे फस जाते है।
Source: Shubham Pathania
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