मिले-जुले प्रभाव थे मुस्लिम शासकों के भारत में पहले में मध्यकालीन भारत के लिए भारत के बाहर हो रही कुछ विशेष हलचलों के बारे बताउंगा और भारत के मुस्लिम शासकों की भूमिका पर।
यें इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा साम्राज्य था जो चंगेज खान ने जीता था ये मंगोल साम्राज्य के नाम से प्रसिद्ध है तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य वर्तमान चीन,रूस, ईरान, अरेबिया, उत्तरी अफ्रीका के कुछ भाग, अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की आदि देशों में फैला हुआ था चंगेज खान एक बहुत ही कूर शासक था जहां जहां उसकी सेना जाती थी वहां की पूरी जनसंख्या को खत्म कर देती थी उसने उस समय विश्व की लगभग 25% आबादी को खत्म कर दिया था उसकी योजना भारत को जीतकर यहां तबाही मचाकर तिब्बत के रास्ते वापस मंगोलिया जाने की थी परन्तु उस समय के दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल सेना को दो बार अफगानिस्तान की सीमा पर प्रभावशाली तरीके से रोका ।
अगर मुगलों की बात करें तो उनके समय में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में प्रथम स्थान पर थी विश्व जीडीपी का 25% —30% थी और भारत सोने की चिड़िया कहलाता था मुगलों से पहले भारत कई राज्यों में बंटा हुआ था और राजाओं के आपसी संघर्ष से जनता परेशान होती थी पर मुगलों ने आंतरिक संघर्ष को दबाकर चंद्रगुप्त मौर्य के बाद भारत को दुबारा राजनीतिक और भौगोलिक रूप से एकजुट किया और लगभग दो सौ सालों तक राजनीतिक स्थिरता दी पर औरंगजेब की कुछ ग़लत नीतियों ने उसके बाद साम्राज्य को कमजोर कर दिया देश अस्थिरता को प्राप्त होना शुरू हो गया उसके मरने के बाद अफगानिस्तान और ईरान से भारत में लूट के लिए आक्रमण हुए।
आजादी के पहले संघर्ष में 1857 में मराठों, सिखों,बुदेलो ने 80 साल के आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर को अपना नेता बनाया व अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया जिसमें बहादुर शाह जफर के बेटों को उसकी आंखों के सामने मार दिया गया खुद उसे रंगून, वर्मा में भेज दिया गया जहां उसने अपने प्राण त्याग दिए।
" कितना है बद-नसीब ज़फ़र दफन के लिए
दफन के लिए दो गज जमीन भी न मिलीं कू-ए-यार में"
Source: Raj Yadav
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