मैं अपने व्यक्तिगत जीवन मे वारेन बफ़ेट के केवल दो सिद्धान्तों का ही पालन करता हूँ और वही आपको बताना चाहता हूँ। यकीन करें, यदि आप केवल इन दो सिद्धान्तों का पालन करेंगे तो आपको कभी भी पैसे की किल्लत नही होगी।
- खर्च निकालने के बाद बचत ना करें बल्कि बचत करने के बाद जो बचे उससे अपना खर्च चलाये: अपने जीवन मे बचत का महत्व समझिये, विशेषकर भारत जैसे देश में जहाँ सरकार अपने नागरिकों के बुरे वक्त में उनकी आर्थिक सहायता नही करती। अमेरिका और कई देशों में सरकार आपकी नौकरी जाने पर आपको बेरोजगारी भत्ता देती है लेकिन ऐसा भारत मे नही है। चाहे आपने सरकार को लाखों रुपये टैक्स के रूप में दिए हैं, नौकरी जाने पर आपको अपने हाल पर मारने के लिए छोड़ दिया जाएगा। इसीलिए आप चाहे जितना भी कमाएं, उसका एक तय हिस्सा पहले बचाएं और फिर जितना बचे उससे ही अपना खर्च चलाएं। अगर आपकी आमदनी कम है तो भी आपको अपनी आमदनी का कम से कम 10–20% बचत करना ही चाहिए। यदि आपकी आमदनी अधिक है तो ये प्रतिशत जितना अधिक हो सकता है, उतना रखें। चाहे जितनी भी किल्लत उठानी पड़े पर बचत करने की आदत को कभी ना छोड़ें क्योंकि यही वो पैसा होगा जो आपके बुरे वक्त में आपके काम आएगा। बुरे समय में पैसे के अतिरिक्त और कोई काम नही आता।
- यदि आप उन चीजों में पैसा बर्बाद करते हैं जो जरूरी नही है तो जल्द ही आपको अपनी उन चीजों को बेचना पड़ेगा जो जरूरी हैं: केवल उन्ही चीजों को और उतना ही खरीदें जितना आवश्यक है। अनावश्यक चीजों को खरीदने से बचें। उदाहरण के लिए, आपकी आर्थिक क्षमता 50000 के किराए के घर में भी रहने की हो सकती है किंतु अच्छा यही होगा कि आप 25000 रुपये के घर में रहें और बांकी के पैसे बचत करें। हो सकता है आप 100000 रुपये का मोबाइल खरीदने में सक्षम हो किन्तु ये अधिक उचित होगा कि आप 25000 का मोबाइल खरीदें और बांकी के पैसे निवेश कर दें। हो सकता है आप 5000000 की कार खरीदने में सक्षम हों किन्तु बेहतर होगा कि आप 2000000 की कार लें और बांकी पैसे निवेश कर दें। उसी प्रकार अन्य चीजों में भी आवश्यक कटौती करें और बांकी का पैसा निवेश कर दें। कहने का अर्थ ये है कि जहाँ अनावश्यक खर्च करने की आवश्यकता ना हो, वहाँ ना करें। मैं एक बार फिर से दोहराता हूँ - बुरे वक्त में केवल संचित धन की काम आता है, अन्य कोई नही।
इसके अतिरिक्त एक चीज जो मैं आपको अपनी ओर से बताना चाहता हूं वो ये है कि चाहे जो कुछ भी हो जाये लोन और क्रेडिट कार्ड के चक्कर में कभी ना पड़े। लोन तभी लें जब जीवन मृत्यु का प्रश्न हो अन्यथा इससे दूर ही रहें। विदुर और चाणक्य जैसे विद्वानों ने भी कहा है कि सुखी केवल वही है जो ऋणमुक्त है।
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