मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं जो की विप्रो के शेयर से जुड़ा है|उस राज के बारे मैं भी बताता हूँ जिस की वजह SAIN यह संभव हौं पाया|
यह कहानी है ₹10000 के 500 करोड बन जाने की| एक गाओ वाला था -नाम मोहम्मद अनवर अहमद, आमानेर नाम की जगह मैं रहता था जोकि जलगांव डिस्ट्रिक्ट,महाराष्ट्रा मे पढ़ती है| वे चार भाई थे और वो उनमे से सबसे छोटे थे| उनके पिता एक किसान थे जिनके पास खेत का एक बहुत बड़ा हिस्सा था| यह 1970 की बात है| 10 साल बाद यानी 1980 में उनके पिता की बेवक़्त मृत्यु के कारण पूरे परिवार की हालत खराब होने लगी| जिसकी वजह से उन चारों भाइयों को वह खेत का हिस्सा बेचना पड़ा| वह खेत 80000 रुपय का बिका और हर एक भाई के हिस्से में ₹20000 आए|
बंटवारे के बाद उन चारों भाइयों के रास्ते अलग हो चुके थे तो क्योंकि मोहम्मद ने अपनी सारी जिंदगी खेती करी थी इसलिए उसे समझ नहीं आ रहा था कि वे अपने लिए कौन सा रास्ता चुने| उसके बाकी भाइयो मे से एक ने अपने गांव को छोड़ दिया था और बाकी दोनों ने वहीं दुकान खोल ली |
अब 1947 में विप्रो लिमिटेड के संस्थापक और फिलंतरोपिस्ट अज़ीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हुसैन जी ने अपनी कंपनी की पहली फैक्ट्री लगाई थी जोकि -शाकाहारी घी, वनस्पति और रिफाइंड तेल बनाती थी |यह तब वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड<और यही फुल फॉर्म भी हैं विप्रो की> कहलाती थी |
मोहम्मद अनवर गांव में ही एक चाय की तपरी लगाता था| तभी एक दिन एक स्टॉक ब्रोकर मुंबई से आया- उसका नाम सतीश शाह था वो उसकी दुकान पे रुका क्योंकि उसको एक सवाल पूछना था| तब मोहम्मद को यह नहीं पता था कि इस मुलाकात से उसकी जिंदगी बदलने वाली हैं| सतीश शाह- अपने क्लाइंट के लिए उस कंपनी के जितने हो सके उतने शेयर लेने आया था|
लेकिन क्या आपको पता है कि सतीश शाह ने क्या सवाल किया- उसने पूछा कि -क्या आप ऐसे किसी को जानते हो जिसके पास उस फैक्ट्री के शेयर हौं? उसने उस फॅक्टरी की तरफ उंगली करके पूछा|
अनवर ने सतीश को बताया की फैक्ट्री का मालिक फैक्ट्री में ही रहता है| बातो का सिलसिला आगे बड़ा और अगले 15 मिनट में सतीश ने मोहम्मद को समझाया कैसे शेयर खरीद के आप कंपनी के मालिक बन सकते हैं| सतीश की बाते मोहम्मद को काफी दिलचस्प लगी और वह मीटिंग 30 मिनट और चली|
मोहम्मेद ने सतीश को उसके शेयर खरीदने में मदद की------------हर उस गांव वाले से मिलाकर जो भी उस कंपनी के शेयर बेचना चाहता हो< क्योंकि गांव में तो सब एक दूसरे को जानते होते हैं>और तो और उसने अपने लिए भी विप्रो के 100 शेयर खरीदे जो कि उस समय ₹100 का एक था और इस तरीके से उसने अपने ₹20000 मे से जो कि उसे शुरू में मिले थे 10000 का निवेश कर दिया और बाकी के 10000 में से उसने एक ट्रेडिंग बिजनेस चालू कर दिया|
तब से वह अपने आपको विप्रो का मालिक समझने लग गया और खुद से वादा किया कि जब तक अजीम प्रेमजी विप्रो के मालिक हैं तब तक वह अपना एक भी शेयर नहीं बेचेगा और रही बात की आख़िर कैसे 10,000 हज़ार - 500 करोड़ मैं बदले तो मैं आपको बताडू की यह संभव हो पाया बोनस और स्प्लिट शेयर की वजह से|
2017–1:1————————————————————— - ——-1,92,00,000
<बोनस-यानी वो शायर जो कंपनी आपको मुफ़्त मैं देती हैं|
स्प्लिट-यानी जब कंपनी अपने शेयर के हिस्से कर देती हैं|>
<इन्हे डीटेल मैं नही बता रहा क्योंकि फिर जवाब लंबा हौं जाएगा लकिन अगर फिर भी आपको इनके बारे मैं जानना हैं तो आप मेरे बाकी के जवाब पढ़ सकते हैं>
और इन सब क अलावा उन्हे कंपनी से 100 करोड़ से ज़्यादा डीवीडेंड भी मिल चुका हैं अभी तक|
वे अब रिटायर हो चुके है और कंपनी से जो भी डिविडेंड मिलता है उसे दिल खोल के डोनेट करते हैं | उनके बच्चे जो विदेश में पढ़ते हैं उन्हें कहते रहते शेयर बेचने के लिए लेकिन वो वही बात कहते हैं की जब तक अज़ीम प्रेमजी कंपनी के मालिक हैं तब तक मैं- कंपनी का एक भी शेयर नही बेचुँगा|
इस कहानी से हुमने क्या सीखा-सब्र और खुद पर भरोसा- ज़िंदगी मैं और मार्केट मैं बोहोत ज़रूरी हैं|
Source : सिद्धार्थ पिसे
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