राजेश खन्ना के चोटी पर पहुंचने का सफर जितना चमत्कारिक था, उतना ही आश्चर्यजनक उनका पतन था जिस सितारे ने लगातार 15 हिट फिल्में दीं, जिसकी एक झलक पाने के लिए हज़ारों लोग लाइन लगाकर खड़े रहते थे, जिसकी कार पर युवा लड़कियों के लिपस्टिक के निशान हुआ करते थे और जो उसे खून से लिखी चिट्ठियां भेजा करती थी वो इंसान अचानक कामयाबी के शिखर से क्यों लुढ़कने लगा
(चित्र स्रोत: गूगल)
राजेश खन्ना की शुरुआती फिल्मों से एक 'खामोशी' में उनके साथ काम कर चुकी चर्चित अभिनेत्री वहीदा रहमान कहती हैं, "देखिए जब कोई पहाड़ की चोटी पर पहुंचता है तो उसे एक ना एक दिन नीचे तो आना ही पड़ता है. ये बहुत स्वाभाविक सी बात है दरअसल वो स्टारडम संभाल नहीं पाए. जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है उसे अपने आपको बदलते रहना चाहिए. स्वीकार कर लेना चाहिए कि अब आपमें वो बात नहीं रही. और फिर उसी हिसाब से अगर वो फिल्मों का चुनाव करते तो शायद उनकी कामयाबी की पारी और लंबी चलती. लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए. वो बहुत ज्यादा अपनी कामयाबी के दिनों में ही खोए रहे."
राजेश खन्ना के सहअभिनेता रजा मुराद के अनुसार , "राजेश खन्ना बेहद दिलदार आदमी थे. उनके घर पर देर रात तक महफिलें जमा करती थीं और इस वजह से वो अपनी फिल्मों के सेट पर देर से पहुंचने लगे. इस वजह से उनके निर्माता उनसे परेशान रहने लगे. फिर रात को देर देर तक जागने और अपनी अनुशासनहीन जीवन शैली की वजह से उनके खूबसूरत चेहरे पर भी फर्क पड़ने लगा. कभी टमाटर की तरह सुर्ख लाल रहने वाला उनका चेहरा निस्तेज सा लगने लगा. और इसके बाद उनकी नाकामयाबी का दौर शुरू हो गया."
फिल्म्र समीक्षक नम्रता जोशी बताती हैं, "किसी भी स्टार की कामयाबी का एक दौर होता है. फिर वक्त बदलता है. राजेश खन्ना अपने पुराने दिनों में ही खोए रहते. 70 के दशक में अमिताभ बच्चन का आगाज हुआ. तो कामयाबी राजेश खन्ना के हाथ से सरकने लगी. वक्त बदल रहा था. लोग रोमांटिक फिल्मों से बोर होने लगे थे. अमिताभ बच्चन का एंग्री यंग मैन अवतार लोगों को भाने लगा था. ऐसे में लोग राजेश खन्ना के वही पुराने चिर परिचित हाव भाव देखकर उकताने लगे थे." नम्रता के मुताबिक राजेश खन्ना एक कलाकार नहीं बल्कि एक स्टार थे. शायद ये भी एक वजह थी उनके कामयाबी के शिखर से नीचे गिरने की
वरिष्ठ फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे के मुताबिक , "राजेश खन्ना एक मैनरिज्म वाले कलाकार थे. सिर्फ मैनरिज्म के सहारे कोई कलाकार लंबे वक्त तक नहीं खिंच सकता. अमिताभ बच्चन की कामयाबी का सफर इसलिए बेहद लंबा रहा क्योंकि वो एक बेहतरीन अभिनेता भी हैं. इस वजह से उम्र के इस पड़ाव में भी उन्हें तमाम रोल मिल रहे हैं. राजेश खन्ना के साथ ये बात नहीं थी. वो सिर्फ अपनी अदाओं और लटके झटकों पर ही निर्भर रहे. लेकिन हां, ऋषिकेश मुखर्जी की 'आनंद' और' सफर', ये दो ऐसी फिल्में थीं, जिसमें राजेश खन्ना ने कमाल का अभिनय किया."
लेकिन ये तमाम लोग एक बात पर सहमत हैं. वो ये कि राजेश खन्ना का सुपरस्टारडम भले ही ज्यादा लंबा नहीं चला लेकिन जिस कदर उस छोटे से दौर में लोगों ने उन्हें चाहा, उन्हें लेकर जो दीवानगी थी, वैसी शायद हिंदी फिल्मों के किसी अभिनेता को नसीब नहीं हुई.
धन्यवाद
स्रोत और सन्दर्भ: आखिर क्यों हुआ राजेश खन्ना का पतन?
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