मंहगाई डायन खाए जात है और नेता मजे लेत जात है !


दॊस्तो !
आज मै पहली हिन्दी की  POST  लिख रहा हू क्योकि मुद्द ऐसा है कि अगर इन्ग्लिश मे लिखा तो देश का हर नागरिक इससे जुड नही पायेगा. 

                                  
                                         आज का विषय  है मंहगाई.



जैसा कि हम सब जानते है कि आज के दौर मे जहॉ लोग सीमित आय मे अपनी जरुरतो को पूरा नही कर पाते और ऐसे मे हमारे महान नेताजी के औछे बयान आते है कि एक आम आदमी अपनी जरुरतो को केवल 12,5,1 रुपये मे पूर कर सकता है.
हमे तो ऐसे बयानो का कोइ तुक्क समझ नही आता कि क्यो ऐसे लोगो को गद्दी पर बैठा देते है जो आम लोगो के दिनचर्या का मजाक उडाते हो! गौरतलब है कि Congress के तीन वरिष्ट नेता राज बब्बर,रशीद मसूद और फारुख अब्दुला ने क्रमश: 12 रुपये,5 रुपये और 1 रुपये मे एक पूरे दिन का पेट खर्च बताया था एक आम आदमी का!


एक नेता और है श्री दिग्विजय सिह जी जो बार बार यह दिखाने मे लगे रहते है कि भाईयो मै भी हू पार्टी मे! उनकी हमेशा पब्लिसिटी पाने की कोशिश अब छुपाए नही छिपती,खासकर तब जब देश मे कोई खास मुद्दा तूल पकड रहा हो,चाहे वो लोकपाल बिल हो,चाहे अभी का अपनी पार्टी की मीनाक्षी नटराजन पर कसा गया उनका औछा बयान! कुछ पार्टी के नेताओ ने उन्हे "मानसिक सन्तुलन खोया हुआ प्राणी" बताया है या दूसरे शब्दो मे बोले तो .......... :) 
पर मेरे ख्याल से इन नेताओ को आम आदमी क खर्च बताने से पहले यह देख लेना चाहिए कि "बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद!". नेताजी पहले आप अपनी एसी की गाडियो और मकानो से तो निकलो और जनता के बीच जाओ,तब जाकर आपको उनकी परेशानी और पीडा के बारे मे पता चलेगा.घर पर बैठ कर बात तो सभी बना सकते है!

व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि पार्टी मे शामिल करने से पहले इन नेताऔ का भी एक ENTRANCE टेस्ट होना चाहिए जिसे पास कर के ये लोग नेताजी बने और कुछ अच्छी और विकासपूर्ण बाते करे!

धन्यवाद !
 गुस्ताखी माफ हो

 जय हिन्द !
 जय भारत !


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